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सुहाग का पर्व वट सावित्री…

छंद-जलहरण घनाक्षरी
सुहाग पर्व वट सावित्री
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आनंद उमंग भरे, अंग-अंग खिले-खिले,
अमावस जेठ व्रत,
प्रेम भरे तन-मन।
महावर हिना रंग, नूपुर की छन-छन,
सतरंगी चूड़ियाँ भी,
खनके हैं खन-खन।
जटाधारी वृक्ष तले, सौरभ सुहानी फले,
धागा बाँध फेरे सात,
लगाती हैं सुहागन।
‘सुषमा’ सूरत सजे, मस्तक कुंकुम लगे,
अमर सुहाग मिले,
अनमोल यह धन।
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…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल ,रायगढ़/रायपुर छ ग