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खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव का विरोध…कानून में बदलाव आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ – मनोज सिंह ठाकुर

रायपुर l छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के एक पूर्व सदस्य वह कांग्रेस के एक सक्रिय नेता के रूप में और एक जिम्मेदार नागरिक के नाते, मैं केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में किए गए खाद्य सुरक्षा कानून में संशोधनों के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना विरोध प्रकट करना चाहता हूँ। यह निर्णय न केवल स्वास्थ्य के नजरिए से बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी अत्यंत चिंताजनक है।

मिलावटखोरो का खेल:-

हाल ही में खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा किए गए बदलावों से मिलावटखोरों को जेल भेजने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। इसके स्थान पर केवल जुर्माना लगाने की व्यवस्था लागू की गई है। यह कदम मिलावटखोरों को खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और देश की जनता के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल सकता है।

प्रमुख चिंताएँ:-

स्वास्थ्य जोखिम:-  इस बदलाव के बाद, मिलावटी खाद्य वस्तुओं का कारोबार बढ़ सकता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। अनहेल्दी खाद्य सामग्री का सेवन गंभीर बिमारियों का कारण बन सकता है।

विभेदकारी और अमानवीय:- यह कानून गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए अमानवीय है, जो पहले से ही खाद्य सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब उन्हें मिलावटखोरी के खतरे का सामना करना पड़ेगा।

नियमों का कमजोर होना: पहले जो सख्त प्रावधान थे, उन्हें कमजोर करने से खाद्य कारोबारी बिना किसी डर के मिलावट कर सकेंगे, जिससे बाजार में आंतरिक प्रतिस्पर्धा भी बाधित होगी।

इसलिए, मैं सरकार से निवेदन करता हूँ कि इस कानून के बदलाव को तुरंत वापस लेकर उचित संशोधन करें ताकि आम जनता के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके। इस मुद्दे को लेकर मैं सभी नागरिकों और जिम्मेदार संगठनों से अपील करता हूँ कि वे इस बदलाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं।

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