Breaking News

सहभागिता और संवेदनशीलता के साथ विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए करें कार्य: मंत्री रामविचार

रायपुर l आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम की अध्यक्षता में आज छत्तीसगढ़ विधानसभा स्थित मुख्य समिति कक्ष में प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जनजातीय समुदायों तक योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, ज़मीनी चुनौतियों और आगामी रणनीति पर विस्तार पूर्वक चर्चा हुई।

योजनाएं हो रही है संचालित :-

आदिम जाति मंत्री  नेताम ने बैठक में कहा कि सबकी सहभागिता और संवेदनशीलता के साथ विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए कार्य किया जाना सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी जनजातियों के हित में अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। यह केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में से एक है। हमें पीएम जनमन योजना के लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए प्राथमिकता के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनजातीय उस घर में रचता-बसता है, इसलिए इस योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए बनने वाले पीएम आवास को उनकी संस्कृति, परंपरा और परिवेश के अनुरूप तैयार किया जाए।

सरकार सभी वर्गों के लिए:-

मंत्री  नेताम ने कहा कि हमारी सरकार सभी वर्गों के हित में संवर्धन के लिए सुशासन की दिशा में कार्य कर रही है। सुशासन का उद्देश्य है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी सुविधाओं जैसी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। पीएम जनमन अभियान के माध्यम से दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में परिवर्तन की नई लहर लाई जा रही है। ’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ और सबका प्रयास की भावना के साथ हम जनजातीय अंचल को न्याय और विकास से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मात्र पुल पुलिया बनाने का काम नहीं:-

मंत्री  नेताम ने कहा कि पीएम जनमन योजना के केवल सड़क, पुल, पुलिया मात्र बनाने का नहीं बल्कि यह एक मिशन है। उन वर्गों के साथ समन्वय और समर्पित होकर कार्य करने से ही शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।

पांच जनजातीय समूह को विशेष:-

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अबुझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कमार और पहाड़ी कोरवा इन पांच जनजाति समूहों को विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है। पीएम जनमन योजना के तहत इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के प्रत्येक व्यक्ति और गांवों को सम्पूर्ण रूप से संतृप्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इस योजना के लिए प्रदेश के 18 जिलों के 53 विकासखंड के 1541 ग्राम पंचायत चिन्हाकिंत है। इनमें विशेष पिछड़ी जनजातियों के 56 हजार 569 परिवारों में 2 लाख 12 हजार 688 की संख्या शामिल हैं। इनकी कुल बसाहटें 2 हजार 365 हैं।

आवासों को दी गई स्वीकृत:-

अधिकारियों ने बताया कि योजना के तहत पिछड़ी जनजातियों के परिवारों के लिए 33 हजार 132 आवासों की स्वीकृति दी गई है। इनमें से 9 हजार 901 आवास पूर्ण कर लिए गए हैं। वहीं 14 हजार से अधिक आवास निर्माण के लिए तीसरी किस्त भी जारी की जा चुकी है, जल्द ही इन आवासों का निर्माण भी पूर्ण कर लिया जाएगा।

केन्द्रो को  स्वीकृति प्रदान कर संचालित:-

अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2023-24 में इन वर्गों के बसाहटों में पक्की एवं संपर्क सड़कें निर्माण के लिए 333 कार्य की स्वीकृति प्रदान की गई है। इनकी कुल लंबाई 1170 किलोमीटर है। इनमें 475 किलोमीटर लंबाई की सड़कें पूर्ण करा ली गई है। वही फेस-टू अंतर्गत 299 कार्य की स्वीकृति की दी गई है। इनकी लंबाई 856 किलोमीटर है। बैठक में बताया गया कि योजना के तहत 191 आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति प्रदान कर संचालित की जा रही है। इसी प्रकार इन वर्गों की स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं। योजना के तहत 1442 बसाहटों में से 989 ग्राम स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा संतृप्त है। वहीं 317 ग्राम मोबाईल मेडिकल यूनिट संतृप्त है तथा 57 और मोबाईल मेडिकल यूनिट की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस प्रकार 1416 ग्राम भौतिक रूप संतृप्त है। शेष 26 पहुंच विहीन ग्रामों में बाइक मेडिकल यूनिट के लिए तैयारी की जा रही है।

व्ययवसायिक एवं कौशल शिक्षा:-

बैठक में मंत्री नेताम ने पिछड़ी जनजातियुक्त बसाहटों में विद्युत व्यवस्था, आश्रम-छात्रावासों के निर्माण, मोबाईल टॉवर की स्थापना, बहुउद्देशीय केन्द्रों का निर्माण, वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना तथा व्यावसायिक एवं कौशल शिक्षा की प्रगति की भी समीक्षा की।

यह रहे शामिल:-

बैठक में आदिम जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारिक, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी, आदिम जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग विकास विभाग के आयुक्त डॉ सारांश मित्तर, आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संचालक  जगदीश सोनकर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संचालक  तारन प्रकाश सिन्हा सहित सभी संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button