
” सुषमा के स्नेहिल सृजन”
छंद-मनहरण घनाक्षरी
हौसला
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नन्हीं-नन्हीं चीटियाँ ये, चढ़तीं पहाड़ियों में,
दाना लिए मुख पर,
सुबह से शाम रे।
अधिक उत्साह भरे, हिम्मत से काम करें,
चलतीं क़तार बद्ध,
कर्म दे अंजाम रे।
हौसला बुलंद लिए, लक्ष्य पर आगे बढ़ें,
‘सुषमा’ सुंदर पग,धरे धरा धाम रे।
एकता की ताक़त को, समझ मनुज आप,
एक साथ मिलजुल,
करना है काम रे।
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कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल ,रायपुर छ ग