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सुषमा के स्नेहिल सृजन…बाल वाटिका…

बाल वाटिका
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नदी किनारे गाँव हमारा।
हम बच्चों को लगता प्यारा।।
साथ-साथ हम रहते हरदम।
खेल-खेल में सीखें दमखम।।
स्वच्छ वायु है मीठा पानी।
प्रकृति दुलारी जैसी नानी।।
पेड़ों की छाया में रहते।
मधुर फलों का सेवन करते।।
पढ़ते-लिखते खेल दिखाते।
सपनों को आकार दिलाते।।
हर दिन मस्ती हर पल गायन।
निश्छल मन अरु सादा जीवन।
खेत नदी आकाश हमारे।
हम बच्चों को लगते प्यारे।।
मिल-जुलकर हम गीत सुनाते।
गाँव-गली में घूम लुभाते।।




