सीईओ ने दिया इस्तीफा… ट्रांसफर के नाम पर लाखों की उगाही… आयोजन में हुआ है बड़ा खर्च…

रायपुर l विवादों का दूसरा नाम सहकारिता विभाग l जी हां सुनने में अटपटा जरूर लगता है लेकिन हकीकत यही है कि सहकारिता विभाग के अंतर्गत आने वाले जिला सहकारी और अपेक्स बैंक अक्सर किसी न किसी मामले में विवादों में जरूर रहता है l मामला फिर अपेक्स बैंक का है l केदार गुप्ता ने जब से अध्यक्ष पद संभाला है तब से अपेक्स बैंक के अधिकारी यह सोचते हैं की कैसे केदार गुप्ता को विवादों में लाया जाए कोशिश भरपूर की जाती है पर सफलता हाथ नहीं लग रही है l लेकिन इस बार मीडिया के अधिकांश लोगों को बखूबी जवाब दिया गया की आयोजन में काफी खर्च हो गया है इसलिए 15 अगस्त का विज्ञापन जारी नहीं कर पाएंगे l कुल मिलाकर मामला अध्यक्ष के आयोजन के ऊपर डाल दिया गया l जबकि तत्कालीन सरकार में भी आयोजन बड़े-बड़े हुए थे और 15 अगस्त का विज्ञापन भी जारी किया जाता था l फर्क सिर्फ इतना है कि आयोजन जरूर हुए हैं लेकिन इस बार केदार गुप्ता ने अपने हिसाब से मैनेजमेंट किया था l जिसके चलते बैंक के वरिष्ठ अफसरो को कमाने का अवसर नहीं मिला l बैंक में जो मीडिया का काम देखते हैं वह हर एक योजनाओं और बैंक की उपलब्धि के बारे में लगातार खबरें प्रकाशित कराते थे l तत्कालीन अध्यक्ष को खुश रखने का भरपूर प्रयास किया जाता था l लेकिन केदार गुप्ता के पद संभालने के बाद से मौनधारण कर लिए है l
करोड़ों का घोटाला :-
वही इस बैंक में करोड़ों-अरबो के घोटाले हुए हैं और हो भी रहे हैं l जांच भी हो रही है लेकिन रिकवरी कैसे की जा रही है इसका भी कोई हिसाब किताब नहीं है l हितग्राहियों के पैसे ब्रांच मैनेजर ही उड़ा रहे हैं l कुछ माह पहले ही बरमकेला ब्रांच मैनेजर ने 10 करोड़ का घोटाला किया था l गर्लफ्रेंड के 75 लाख का मकान सारंगढ़ में ले रखा l जो अभी जेल की हवा खा रहे l फिर भी गोलमाल बंद नहीं हुआ है l हालांकि वर्तमान अध्यक्ष का भय इन अफसरो में जरूर है l कुछ अफसर तो ऐसे हैं जो रजिस्ट्रार ऑफिस में बैठकर केवल केदार गुप्ता के संबंध में विचार विमर्श करते नजर आते हैं l सूत्रों की माने तो अध्यक्ष नहीं सुनते इन अफसरो की बात l
दिया इस्तीफा, लाखों का ट्रांसफर:-
वही अंबिकापुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ ने इस्तीफा दे दिया है l इस्तीफा को स्वीकार नहीं किया जा रहा है l सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिसे काफ़ी सीधा और सज्जन अफसर माना जाता है l जो बैंक के प्रबंध संचालक हैं उसी ने सीओ से तीन लाख रूपए ट्रांसफर के नाम से लिये है l मंत्री के विशेष सहायक भी है तो शायद मंत्री स्तर पर भी हो सकता है l खैर इस्तीफा मंजूर होगा या फिर ट्रांसफर ये तो अंदर की बात है l लेकिन बगैर अध्यक्ष के अनुमति के तो ट्रांसफर नहीं हो पाएगा l अगर अध्यक्ष केदार गुप्ता को इस बात की पुष्टि हो गई तो शायद इस्तीफा ही मंजूर हो जाए l और घोटालो की तफ्तीस शुरू हो जाये l