छत्तीसगढ़

कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल…

    चिड़िया रानी
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मैं आँगन में दाना डालूँ।
पंछी सेवा सपने पालूँ।।
गेहूँ मकई जौ के दाने।
जुटे पखेरू दाना खाने।।

सुषमा’ देखो चिड़िया काली।
रची चोंच पर गहरी लाली।।
नीड़ बनाती हैं पेड़ों पर।
बतियाती रहती मेड़ों पर।।

सदा सकोरे में रख पानी।
पीने आती चिड़ियाँ रानी।।
चीं-चीं चूँ-चूँ गीत सुनाती।
हम सबके मन को बहलाती।।
रंग-बिरंगे पंख पसारे।
उड़ते-डोले पक्षी सारे।।
देख दृश्य खुश बिटिया होती।
गाती गुन-गुन धुन में खोती।।

…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल

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