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कवित्री सुषमा प्रेम पटेल…मनहरण घनाक्षरी शिव_ शिवा..

छंद-मनहरण घनाक्षरी
शिव_ शिवा
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आशुतोष महाकाल, कंठ धरे सर्प माल,
बाघाम्बर मृग छाल,
जटा गंग धार है।
टन-टन घंटा बजे, शिवालय गूंज उठे,
शंख ध्वनि मंत्रोच्चार,
*महिमा अपार है।
नागेश्वर भूतेश्वर, प्राणनाथ नीलेश्वर,
शम्भूनाथ वामदेव,
*भुजंग श्रृंगार है।
दीनानाथ सोमनाथ, महादानी उमानाथ,
गौरी मैय्या सजे-सजे,
संसार है।
चंद्रमौली सहस्राक्ष, विकराल विरूपाक्ष,
भूतनाथ ब्याह चले,
*सवारी तैयार है।
देख-देख शिव गढ़, जटाधारी भयंकर,
संज्ञाशून्य मैना रानी,
*ब्याहने लाचार है।
विषधारी सर्वेश्वर, आशुतोष महेश्वर,
नाच रहे भूत _प्रेत,
*शिव परिवार है।
पार्वती ‘सुषमा’ सजे, गौरी मैय्या खिले-खिले,
शिव-शिवा एक हुए
नाम शिव सार है।
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…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल ,रायपुर छ ग