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आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर अभाविप द्वारा… विचार संगोष्ठी का आयोजन…

रायपुर l अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, रायपुर महानगर द्वारा देश के लोकतंत्र पर लगे काले अध्याय आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में आपातकाल के दमनकारी पक्षों, लोकतंत्र की हत्या, नागरिक अधिकारों के हनन तथा संवैधानिक मूल्यों पर पड़े प्रभाव पर गहन चर्चा की गई।

ऐतिहासिक और राजनीतिक रेखांकित:-

कार्यक्रम की प्रस्तावना रायपुर महानगर मंत्री  प्रथम राव फुटाने ने करते हुए आपातकाल के ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार तत्कालीन सत्ता के लोभ ने संपूर्ण राष्ट्र को अधिनायकवाद की ओर धकेला था।

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में:-

मुख्य वक्ता के रूप में अभाविप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. आशुतोष मंडावी ने संबोधित करते हुए कहा कि 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे काले दिन के रूप में दर्ज है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मीडिया की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सत्ता ने कुचल दिया था।

केवल राजनीतिक दमन:-

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अभाविप के पूर्व प्रदेश मंत्री (अविभाजित मध्यप्रदेश) अधिवक्ता श्री सच्चितानंद उपासने जी ने आपातकाल के दौरान बिताए 19 माह के कारावास और उस दौरान सहन की गई अमानवीय यातनाओं का मार्मिक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि आपातकाल केवल राजनीतिक दमन नहीं था, बल्कि वह भारतीयता, संस्कृति और लोकतंत्र पर किया गया एक सुनियोजित प्रहार था।

सम्मान और संघर्षों को नमन:-

इस अवसर पर आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेल गए  सुभाष देशपांडे एवं  अशोक शेष  का सम्मान कर उनके संघर्षों को नमन किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. श्वेता वासनिक (रायपुर महानगर उपाध्यक्ष) ने करते हुए सभी वक्ताओं, अतिथियों एवं उपस्थित युवाओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि इतिहास की इन घटनाओं से प्रेरणा लेकर हमें लोकतंत्र की रक्षा के लिए सदैव सजग रहना चाहिए।

बड़ी संख्या में युवाओं ने लिया भाग:-

संगोष्ठी में महानगर सह मंत्री सुजल गुप्ता, रुचिका, हर्षित, निशा, संकल्प, सुनाए सहित बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया। युवाओं की सहभागिता ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान पीढ़ी भी इतिहास की चेतावनियों को समझने और राष्ट्रहित में सोचने को तत्पर है। यह आयोजन लोकतंत्र, संविधान एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति युवाओं को जागरूक करने की दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल रही।

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