मज्ज्योतिर्मयानंद द्वारा आयोजित भव्य धार्मिक आयोजन का आज चौथ दिन…
बेमेतरा ( दीपक पांडे ब्यूरो चीफ ) l आज दंडी स्वामी श्री ज्योतिर्मयानंद मद्भागवत कथा की व्यास गद्दी पर आसन ग्रहण कर उपस्थित यज्ञ शाला के परिक्रमा और भागवत ज्ञान कथा श्रवण करने वाले बड़ी संख्या में भगवत भक्त श्रद्धालु धर्म प्रेमी जनों का स्वागत किया। फिर दंडी स्वामी के स्वागत ताराचंद माहेश्वरी दीपक तिवारी, गौ रक्षक सोमेश्वर साहू जितेंद्र शुक्ला जिलाध्यक्ष सर्व ब्राह्मण समाज मंगत साहू फेरु राम साहू कुंदन राजपूत तथा श्रीमती वर्षा गौतम श्रीमति निशा श्रीमति नीलिमा गुप्ता भरत साहू सरपंच पटेल, ताकम से पटेल द्वारा किया गया।
कॉल किसी को बता कर नहीं आता :-
मज्ज्योतिर्मयानंद ने कथा का आरंभ हनुमत आराधना और हर हर महादेव के उद्घोष के साथ किया।दंडी स्वामी ने संगीतमय गुरु वंदन, मुकुंद माधव का वंदन कर प्रवचन को आगे बढ़ाया कि परीक्षित महाराज को श्राप मिला और वह गंगा तट पर उपस्थित हुआ। काल किसी को बता के नहीं आता समय पता नहीं होता वही परीक्षित के साथ हुआ कि काल सर्प के रूप में राजा को डसेगा मुक्ति के उपाय करना जरूरी है जितना किया जा सकता है परीक्षित के द्वारा किया जा रहा है। काल के काल से बचना मुश्किल है जीवन अगर एक आवरण है तो मृत्यु का वरण करना ही होगा इसका एक ही उपाय है संतों का सान्निध्य और भगवान की भक्ति जितना ज्यादा हो कर लेना चाहिए ।
ईश्वर ने बनाया संसार को:-
स्वामी ने आगे कहा कि राजा परीक्षित ने पूछा शुकदेव से यह संसार किसने बनाया एक है या कई मिलके बनाए या अकेला किसी का चेहरा किसी से मिलता ही नहीं।भगवान के पास कैसा सांचा है । शुकदेव ने कहा यह संसार ईश्वर ने बनाया जो केवल एक है संसार में जो भी निर्माण है उसका निर्माता भगवान ही है जिसकी शक्ति बहुत विलक्षण है।
ब्रह्मा तीन प्रकार के:-
स्वामी ने आगे सुनाया भगवान विष्णु के नाभि कमल में उत्पन्न ब्रह्म तीन प्रकार के सृष्टि का निर्माण करता है प्रकृति को बनाया म सृष्टि का सृजन हुआ तीन प्रकार से मानसिक आंगिक शारीरिक मन से सनक सनंदन सनातन सनत कुमार उत्पन्न हुए। प्रवृत्ति निवृत्ति मार्ग समझ कर चारो संसार में प्रवृत्त होना स्वीकार नहीं किया निवृति मार्ग अपना सन्यासी हो गए।यह देख ब्रह्म जी को क्रोध आया क्रोध कहां से आता है जो शांत नहीं है।उन्होंने शांत प्रशांत को अधिक समझाते कहा शांत उसे कहते है जिसे कभी कभी गुस्सा आता है प्रशांत को कभी गुस्सा आता ही नहीं।भगवान ही है जो सदा से प्रशांत है ।
राजा ने महात्मा को मारा थप्पड़:-
दंडी स्वामी ने एक दृष्टांत भी सुनाया कि एक बार एक पगडंडी से महात्मा अपने शिष्यों के साथ आ रहे थे दूसरी तरफ एक राजा अपनी रानी के साथ आ रहा था पगडंडी में कीचड़ होने से कुछ कीचड़ के छींटे रानी के साड़ी में पड़ा राजा क्रोधित होकर महात्मा को थप्पड़ मार दिया लेकिन महात्मा को गुस्सा नहीं आया पर पीछे शिष्यों को गुस्सा आ गया कहे राजा होगा अपने राज का इसका मतलब ये तो नहीं कि किसी को भी मार दे। महात्मा भगवत भक्त था आगे बढ़ गए पर शिष्य ने कहा आप रोके क्यों बताइए महात्मा बोले पीछे मूड के देखो देखने पर दिखा राजा गिरा पड़ा है रानी उसे उठाने के प्रयास में अपने पूरी साड़ी को कीचड़ से लथपथ कर डाली है।
शरीर को दो भागों में बांटा:-
दंडी स्वामी ने आगे कहा सनक सनंदन सनातन सनत कुमार द्वारा संसार में लिप्त न होने के बात सुनकर ब्रह्म जी को क्रोध आया भौहें सिकुड़ गई जहां से नीलाभ एक बालक पैदा हुआ ध्यान लगाकर देखा तो वह रुद्र था फिर रुद्र एकादश हो गए ब्रह्म ने हाथ जोड़े कहा आप हर हर हर है महादेव है आप मुझ पर कृपा करें।ब्रह्म फिर आंगिक सृष्टि की रचना की पहले नारद दक्ष सहित सप्तऋषियों को उत्पन किया फिर शारीरिक सृष्टि क निर्माण किया जिसमें स्त्री पुरुष बनाए।ब्रह्म अपना शरीर को दो भागो में बांट मनु सतरूपा बने दोनों हाथ जोड़ बोले पिता से बढ़कर कोई नहीं माता के समान कोई दूजा नहीं आप हमे आदेश कीजिए क्या करना है। माता पिता का प्रभाव है गणेश जी जिसके पास ऋद्धि हैं सिद्धि हैं शुभ और लाभ है। संतान के लिए माता पिता ही पूरा ब्रह्मांड है।ब्रह्म जी ने कहा जाओ 14 लोकों का निर्माण करो हर लोक की पहचान भी अलग अलग है।दंडी स्वामी ने कथा को विस्तार करते वराह अवतार लक्ष्मी नारायण अवतार आदि भगवान के अवतार ,प्रणाम के महत्व और तरीका बताते हुए बड़ी संख्या में उपस्थित कथा प्रेमियों का आभार कर कथा समाप्त किया।
आयोजन समिति सलधा द्वारा शिवनाथ नदी के तट पर बनने वाला सवा लाख शिवलिंग स्थापना के लिए दान स्वरूप राशि प्रदान करने का आग्रह किए।